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नान स्टाप राइटिंग चेलैंज 2022 एडीशन 1 बाप का घर( भाग 26)


                 शीर्षक  :- बाप का घर

         पुराने जमाने औरतौ को अक्सर ससुराल वाले यह कहकर ताना देते थे कि यह तेरे बाप का घर नहीं है  यह ससुराल है यहाँ हमारे हिसाब से रहना होगा।

     ऐसा ही सलौनी के साथ हुआ था सलौनी की शादी को अभी दो बर्ष ही हुए थे। शादी से पहले सलौनी अपने पापा के यहाँ आजाद पंक्षी की तरह पढी़ व बडी़ हुई थी। उसकी माँ उसको बार बार यही कहती थी कि तुझे पराये घर जाना है वहाँ यह सब नही चलेगा। ससुराल में उनके हिसाब से रहना होगा।

      लेकिन सलौनी ने इस बात का कभी ध्यान ही नही दिया था। वह आजाद रहती थी। उसके पापा भी उसको बहुत प्यार करते थे । वह उसको अपने बेटे से अधिक मानते थे। मतलब यह है कि वह अपने पापा की लाड़ली थी।

       सलौनी की मम्मी इसके लिए अपने पति से बहुत लड़ती थी कि यह आपको बहुत परेशान करेंगी सभी लोग आपको नही मुझे दोष देंगें कि माँ ने अपनी बेटी को तमीज नहीं सिखाई है।

     परन्तु उसके पापा ने इन बातौ पर कभी भी गौर नही फरमाया था।वह हमेशा अपनी बेटी सलौनी की पक्ष लेते थे इससे उसकी मम्मी अपने  पति से हमेशा लड़ती रहती थी।

    सलौनी का प्लान तो जाँब करने का था लेकिन उसकी जिस परिवार  में शादी होकर  गयी उन्हौने जाँब कराने से इन्कार कर दिया। सलौनी का पति अविनाश एक अच्छी कम्पनी में अच्छी तनखा पर जाँब करता था।
   
         सलौनी अविनाश के साथ ही रहने चली गयीथी।  अविनाश को भी अपने पैसे का घमन्ड था। और वह मुह से भी बड़बोला था। वह बोलने से पहले यह नही सोचता था कि वह क्या बोल रहा है। किसी को कुछ भी बोल देता था। इसके लिए उसको बाद में पछताना भी पड़ता था।

      अविनाश सलौनी को बात बात पर एक ही बात बोलता था कि यह तुम्हारे बाप का घर नहीं है। यहाँ रहना है तो हमारे हिसाब से रहना होगा। सलौनी इसको सहन कर जाती थी। वह यह सोच लेती कि यह मजाक में ऐसा बोल देते है।

  एक रात को किसी बात पर दोनौ में जिद होगयी और अविनाश उससे गुस्से मे बोला,"  यह मेरा घर है तेरे बाप का घर नहीं है जो हर बात पर तेरी चलेगी रहना है तो रह नहीं चलीजा। "

      सलौनी को आज बहुत बुरा लगा और उसने रात को ही अपनी अटैची में कपडे़ रखलिए। और वह सुबह होते ही वहाँ से अपने मायके चली गयी। उसके पापा समझ गये वह कुछ नहीं बोले। 

      सलौनी वहाँ आराम से रहने लगी। अविनाश कुछ दिन तो होटल से खाना मंगवाता रहा कपडे़ धोबी धोकर दे जाता सफाई वाली सफाई कर जाती लेकिन घर में और भी बहुत कुछ काम होते है।

    उधर आफिस के साथी उसे चिडा़ने लगे कि बस बीबी भाग गयी उसको रखभी नहीं सका। सभी के ताने सुनकर परेशान होगया। पहले तो सभी दोस्त क्वारे थे साथ रहते थे मस्ती करते थे अब सबकी अपनी गृहस्थी थी किसी पर मस्ती का समय नहीं था।

     अविनाश परेशान होगया। पहले तो उसने सोचा परेशान होकर सलौनी स्वयं  आजायेगी लेकिन पाच छः महीने बीत गये सलौनी ने फौन तक नहीं किया।

     अब एक दिन अविनाश ही सलौनी को लेने उसके घर पहुँच गया और उससे चलने के लिए कहने लगा। तब वह बोली , "यह मेरे बाप का घर है मै अपने बाप के घर पर हूँ तुम अपने बाप के घर जाओ।"

     आज अविनाश को एहसास हुआ कि वह कितना गलत था उसने सबके सामने सारी बोला और भविष्य में ऐसे न बोलने  की कसम उठाई तब सलौनी बापिस आई।

नान स्टाप राइटिंग चेलैन्ज हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "



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9 Comments

Mithi . S

09-Nov-2022 06:05 AM

Behtarin rachana

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Gunjan Kamal

08-Nov-2022 04:33 PM

शानदार भाग

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shweta soni

01-Nov-2022 11:40 AM

बहुत सुंदर रचना 👌

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